शून्य में सृजन - Shoonya mein Srijan

0:00
/1:06

वो जीवन की दिशाहीन क्रिया का सन्नाटा
ना बोलती चिडयों का गान
ना इठलाते मोर का विस्तार
ना पवन की ताल पर वृक्षों का राग

एक सन्नाटा था जीवन

होट बोलते पर ह्रदय निशब्द
कोलाहल उपकरणों का,
धुयें का धमाका
टूटता नभ, बिखरती धरा
मृत नदियों में अपना ही मल

एक बाह्य आक्रोश से परास्त मैं

सन्नाटा था तो प्राण बीज का
ना बोलता ना गाता ना सुनाता
बस राह देखता उस लय की
जिसपे उसका राग भी सज पाए

जब सब रुका सब ठहरा
तो उस निशब्द शून्य में प्रस्फुटित शक्ति
का एक नया सृजन

हुआ शून्य में एक सृजन
और जीवन राग चल निकला

--- Send in a voice message: https://anchor.fm/drishtikone/message Support this podcast: https://anchor.fm/drishtikone/support