Pakistan’s generals thrive on chaos, using endless jihad to justify power while destroying their nation. Today we uncovers how fire, ruin, and perpetual conflict define Pakistan’s strategy, and why understanding this is key to India’s security and regional stability.
China’s new Harmony OS is gearing up to challenge Apple, Microsoft, and Google. While it may not dethrone these giants immediately, its arrival signals that non-US players are entering the operating system race. It reflects China’s ambition to reduce tech dependence on the West with its own options
Brazil, Ireland, EU and the US have become the frontlines for those who want to control our voices globally. China has shown the blueprint of a dystopian state. The Deep State wants to use democracy to achieve Total Control.
शब्द और दर्शन एक कवि की अभिव्यक्ति के सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी होते हैं। अमित अग्रवाल जी की यह काव्य संग्रह “चटकते कांच-घर” उनके मन की संवेदना का एक दर्पण है। हिंदी में लिपटी उर्दू शायरी की शैली लेकर अमित जी ने कुछ गहरे विचारों से हमारा साक्षात्कार कराया है।
Amit Agarwal
हर समाज में कविता बदलती और बहती अविरल धारा का एक प्रतिबिम्ब मात्र होता है।
कबीर ने अपने समय की सार्वजनिक भाषा में अपना दर्शन व्यक्त किया और आज का कवि और शायर आज की भाषा में अपनी अभिव्यक्ति खोजता है । बीते हुए कल का रोमांच हम सब को एक स्वपनलोक में ले जाता है, परन्तु जीवन प्रतिक्षण जिया जाता है। कल और आज का द्वंद्व अमित जी ने अपनी रचना “बेकार” में दर्शित किया है।
दो पंक्तियों की “सर्दियों की धुप ” में अमितजी ने भारतियों के दिनचर्या से एक पहलु को ले अपने दिल का हाल सुना डाला।
मुझे उनकी रचना “गन्दा नाला” बहुत अच्छी लगी, जहाँ वो संभवत: अपने ईश्वर या ईश्वर रुपी किसी मार्गदर्शक के प्रति अपना आभार प्रकट कर रहे हैं । अपने भीतरी विषाद और दुर्बलता को विनम्रतापूर्वक स्वीकारते हुए, अमितजी अपने ईश्वर्य मूर्ति के योगदान का धन्यवाद किया है।
पर अमितजी अपने आलोचकों की कभी कभी की हुयी निरर्थक आलोचना से भी परिचित हैं। उनको बुरा न कह कर, उनकी इंसानियत का उलहाना दे रहे हैं। आलोचना तो कवि का गहना होती है, पर कई लोग कविता के उद्देश्य और भाव को छोड़ अपने दिल की बडास निकालने पर उतारू हो जाते हैं। उनके लिए अमितजी की रचना “आलोचकों के नाम” बहुत सार्थक है।
परिश्रम करना और अपनी कला में निपुण होना एक बात है, प्रसिद्धि का सौभाग्य होना दूसरी| हर वो लेखक और कवि जो अच्छा है प्रसिद्ध नहीं होता। जब कोई भी रचयिता यह विडम्बना देखता है तो रो उठता है। इसी भाव को अमितजी ने “किस्मत” में प्रस्तुत क्या है।
शब्दों में सहजता, विचारों में रवानी और समकालीन अभिव्यक्ति – यह अमित अग्रवाल जी के इस काव्य संग्रह की विशेषतायें हैं।
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